चांद से मिलकर चांद हो जायेंगे हमारे शब्दों में , साहित्य में और ख्वाबों में तुम्हारा ही तुम्हारा जिक्र है हमारी बातों में हमारे प्रेम भरे इस दिल के मुसाफिर तुम हो इस दिल की ख्वाहिश ,हमारी तमन्ना तुम हो सौन्दर्य की उपमा, रूप तुम और प्रेम गहना तुम्हारे सौन्दर्य से दूर ,हमको अब नहीं रहना भटक गये पथ से, अनजान पथिक जो ठहरे फिर आएंगे, गढ़ जाएंगे तुम्हारे सीने में गहरे चांद में मिलकर चांद हो जाएंगे शिवराज खटीक चांद से मिलकर चांद हो जायेंगे