लिख तो दूँ गजल तुमपे तराश तो जाउँ उपन्यास में तुमको मगर क्या मैं तुच्छ काबिल हूँ व्याख्या करने को तुम्हारे मेरे आत्मा में लगे लहू के छीटे कहते नपुंसक मुझे ये दर्द ये हवा कहते हत्यारा मुझे मैं किस लिहाज से उकेर दूँ कविता में अपने क्या मैं ये पावन साहित्य क्या मैं सृस्टि के लायक हूँ मेरे तो बदन भी सँघर्ष की बेरियों में बंध बस एक अधमरा खाल है मैं कैसे लिखूँ आत्मकथा अपनी मगर होना है मुझे भी पूर्ण और पवित्र हाँ मैं कर जाऊंगा कुछ ऐसा मोहब्बत में लेंगे गर्व से नाम ये कायनात तुम्हारे संग संग । #मेरे_जज्बात008 #kamil_kavi #yqdidi #yqbaba #kunu #imyoursonly