'तन' बेचने वाले समाज से बहिस्कृत है 'वतन' बेचने वाले देशभर मे पुरस्कृत है। दो नम्बर के धंधेबाज समाजसेवी बने हुये है, सत्तापक्ष के गुलाम इन दिनों कवि बने हुये है। ईमान बेच खाने वाले खुद को ईमानदार कहते है, सच लिखने का दम नही खुद को पत्रकार कहते है। कहीं खादी बिकी हुई है कहीं खाकी बिक रही है, देश की कानून व्यवस्था भला कब ठीक रही है। दवा और रोटी के अभाव मे रोज सैकडो मर जाते है, और वो संसद मे बैठे-बैठे अरबो का गबन कर जाते है। संजय अश्क, पुलपुट्टा बालाघाट 9753633830 पुरस्कृत है