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"जिससे प्रेम हुआ, उससे द्वेष नहीं हो सकता, सच है।

"जिससे प्रेम हुआ, उससे द्वेष 
नहीं हो सकता, सच है। 
निराशा हो सकती है, 
देखा जा सकता है आसपास 
आसानी से.. बथेरे किस्से हैं। 
प्रेम अन्याय नहीं करता, 
अन्याय आदमी करता है...
अपेक्षाओं की आर में 
उपेक्षित बताकर स्वयं को।" मुंशी जी का कथन शत् प्रतिशत सत्य है। *
कुछ जोड़ रही, जो अनुभव किया.... 

"जिससे प्रेम हुआ, उससे द्वेष नहीं हो सकता, सच है। 
निराशा हो सकती है, देखा जा सकता है आसपास आसानी से.. बथेरे किस्से हैं। प्रेम अन्याय नहीं करता, अन्याय आदमी करता है अपेक्षाओं की आर में उपेक्षित बताकर स्वयं को।"

Shree 
#हिन्दी_पंक्तियाँ #hindi_panktiyaan
"जिससे प्रेम हुआ, उससे द्वेष 
नहीं हो सकता, सच है। 
निराशा हो सकती है, 
देखा जा सकता है आसपास 
आसानी से.. बथेरे किस्से हैं। 
प्रेम अन्याय नहीं करता, 
अन्याय आदमी करता है...
अपेक्षाओं की आर में 
उपेक्षित बताकर स्वयं को।" मुंशी जी का कथन शत् प्रतिशत सत्य है। *
कुछ जोड़ रही, जो अनुभव किया.... 

"जिससे प्रेम हुआ, उससे द्वेष नहीं हो सकता, सच है। 
निराशा हो सकती है, देखा जा सकता है आसपास आसानी से.. बथेरे किस्से हैं। प्रेम अन्याय नहीं करता, अन्याय आदमी करता है अपेक्षाओं की आर में उपेक्षित बताकर स्वयं को।"

Shree 
#हिन्दी_पंक्तियाँ #hindi_panktiyaan
shree3018272289916

Shree

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