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यूँ बीच रास्ते, साँसों

                            यूँ बीच रास्ते,
साँसों के जैसे ऐसे थम जाना नहीं था,
खरी सुना जाता है हर कोई गुज़रता,
उनकी बातों से हौंसला हारा नहीं मैं।
टूट गया फिर सपना, आयी न नींद कबसे,
उनसे दूर हैं लेकिन यूँ पराया माना नहीं था,
उसको साथ न था मंज़ूर, अब मैं क्या करता,
अपनाने लगे हो जिसे अभी तुम्हारा नहीं है।
सलामत रहो जहाँ भी, दुआ यही है रब से,
हैसियत से ऊपर को यूँ चाहना नहीं था,
पलकों की बजाय ऐसे श्मशान में न लेटते,
देखें तो यहाँ चार कंधों का सहारा नहीं है। - बाज थोड़ा भटक गया हूँ अनजान रास्ते पर,
एक तो अनजाने का अंदाज़ा था मगर।
सही पड़ाव न मालूम हो किसी को चाहे,
एक ही दिशा में हाथ का इशारा था मगर।
दौड़ लगाते भीड़ में डगमगाते हालात की,
एक मज़बूत स्तंभ सा सहारा था मगर।
बाजियाँ करते नहीं, गाँठो भरी डोर से,
एक कटी पतंग सा वो प्यारा था मगर।
                            यूँ बीच रास्ते,
साँसों के जैसे ऐसे थम जाना नहीं था,
खरी सुना जाता है हर कोई गुज़रता,
उनकी बातों से हौंसला हारा नहीं मैं।
टूट गया फिर सपना, आयी न नींद कबसे,
उनसे दूर हैं लेकिन यूँ पराया माना नहीं था,
उसको साथ न था मंज़ूर, अब मैं क्या करता,
अपनाने लगे हो जिसे अभी तुम्हारा नहीं है।
सलामत रहो जहाँ भी, दुआ यही है रब से,
हैसियत से ऊपर को यूँ चाहना नहीं था,
पलकों की बजाय ऐसे श्मशान में न लेटते,
देखें तो यहाँ चार कंधों का सहारा नहीं है। - बाज थोड़ा भटक गया हूँ अनजान रास्ते पर,
एक तो अनजाने का अंदाज़ा था मगर।
सही पड़ाव न मालूम हो किसी को चाहे,
एक ही दिशा में हाथ का इशारा था मगर।
दौड़ लगाते भीड़ में डगमगाते हालात की,
एक मज़बूत स्तंभ सा सहारा था मगर।
बाजियाँ करते नहीं, गाँठो भरी डोर से,
एक कटी पतंग सा वो प्यारा था मगर।
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