आज़ाद हो सांस लूं इन हवाओं में और लहराऊं बन लहरें इन फिजाओं में निर्भीक होकर मैं बात अपनी कह सकूं पानी की तरह स्वच्छंद बह सकूं , पार करूं पर्वतों को जोश से , सामना करूं मुश्किलों का होश से , बरस सकूं शुष्क धरा पर बन कर बूंदें , सुकून रहे जब भी ये आंखें मूंदे , पुष्प बन महकूं दुर्लभ लताओं में ओझल हो जाऊं जब चाहूं इन घटाओं में ।। © रिमझिम आज़ाद #nojotohindi#poetry#hindi#Azaad#independence