कालिख को काजल समझ बैठा वो थी किसी और की मैं खुद की समझ बैठा लगा था आँख में काजल उसे माथे पर लगा बैठा भूल हुई यही मुझसे कि उसे अपना समझ बैठा काजल # दीए की आखरी निशानी के काजल #