ना जाने क्या था "माँ" की उस "फूँक" में. हर "चोट" ठीक हो जाया करती थी. "माँ" की हल्की सी एक "चपत" ज़मीन को. सारा "दर्द" ही "गायब" कर दिया करती थी . Miss u maa