हसरतों को चाँद की खूँटी पे टांग आये हैं, इस बार खुदा से कुछ और मांग आये हैं, मांगे भी क्या मांगे तेरे लिए............ तेरी खुशियां मांग आये हैं _एस.जी.तृषा