"जिंदगी के रंग" मैं जिंदगी पर हंसती.., जिंदगी है मुझपर हंसती..! मैं जिंदगी को पढ़ना चाहती.., जिंदगी है मुझे पढ़ाती..! मैं जिंदगी को समझना चाहती.., जिंदगी है मुझे ही समझाती..! मैं जिंदगी को अपने हिसाब से चलाना चाहती, और जिंदगी मुझे है अपने तरीके से चलाती। मैं जिंदगी से लड़ती और मुंह मोड़ती.., पर जिंदगी है मुझसे ही झगड़ती..! मैं जिंदगी से रूठती और फिर मनाती.., जिंदगी मुझसे ही रुठ कर मुझे है मनाती..! हवा और आग जैसा है जिंदगी और मेरा साथ, मैं परेशानियों से परेशान होकर जलती रहती.., और जिंदगी है मुझे जलकर बुझना सिखाती..! मैं जिंदगी को फूल दिखाती.., पर जिंदगी है मुझे कांटो पर चलना सिखाती! मैं जिंदगी को नदी जैसा बहता हुआ देखती.., और जिंदगी मुझे है चट्टान जैसा पत्थर दिल समझती! कभी खिलखिलाती धूप जैसी खुशियां देती.., तो कभी घने काले बादलों के साये जैसे दुःख देती! इंद्रधनुष के सतरंग दिखाकर छुप जाया करती.., ये जिंदगी भी जिंदगी में ना जाने कितने रंग है दिखाती। - by Ishani Rinku Aaswani💞 (Deepika Ahuja) ©राधाकृष्णप्रिय Deepika🌠 "जिंदगी के रंग" मैं जिंदगी पर हंसती.., जिंदगी है मुझपर हंसती..! मैं जिंदगी को पढ़ना चाहती.., जिंदगी है मुझे पढ़ाती..! मैं जिंदगी को समझना चाहती.., जिंदगी है मुझे ही समझाती..!