कभी होठों की नरमाहट में , कभी बातों की कड़वाहट में, कभी प्यार की गहरी नींदों में , कभी करवटों कि शांत चीखों में , कभी दूर होकर पास रहने में , कभी पास होकर दूरी सहने में , बिना किसी डोरी से बंधे रिश्ते, कुछ उलझे से कुछ सुलझे से । कभी होठों की नरमाहट में , कभी बातों की कड़वाहट में, कभी प्यार की गहरी नींदों में , कभी करवटों कि शांत चीखों में , कभी दूर होकर पास रहने में , कभी पास होकर दूरी सहने में , बिना किसी डोरी से बंधे रिश्ते, कुछ उलझे से कुछ सुलझे से ।