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घर में कैद हैं जिंदगी जिंदगी बचाने की जंग में ढ

घर में कैद हैं जिंदगी 
जिंदगी बचाने की  जंग में
 ढंके अब शहर हैं ख़ामोशी  की चादर में 
खिल उठी हैं  फिर से गाँवों की गालिया 
बिछड़े पुराने अब लौट आ रहे हैं
 बिलक रही थी धरती जो कब से 
आज कैसे वो मुस्का  रही हैं 
घर में सुकून से बैठा हैं  वो, 
पल भर कही जो रुकता नहीं था 
जिंदगी थमी हैं पर महकी हैं खुशियाँ 
भाई चारे का ये दौर नया हैं !
सत्यम #nojoto #khusiyainlockdown
घर में कैद हैं जिंदगी 
जिंदगी बचाने की  जंग में
 ढंके अब शहर हैं ख़ामोशी  की चादर में 
खिल उठी हैं  फिर से गाँवों की गालिया 
बिछड़े पुराने अब लौट आ रहे हैं
 बिलक रही थी धरती जो कब से 
आज कैसे वो मुस्का  रही हैं 
घर में सुकून से बैठा हैं  वो, 
पल भर कही जो रुकता नहीं था 
जिंदगी थमी हैं पर महकी हैं खुशियाँ 
भाई चारे का ये दौर नया हैं !
सत्यम #nojoto #khusiyainlockdown