घर में कैद हैं जिंदगी जिंदगी बचाने की जंग में ढंके अब शहर हैं ख़ामोशी की चादर में खिल उठी हैं फिर से गाँवों की गालिया बिछड़े पुराने अब लौट आ रहे हैं बिलक रही थी धरती जो कब से आज कैसे वो मुस्का रही हैं घर में सुकून से बैठा हैं वो, पल भर कही जो रुकता नहीं था जिंदगी थमी हैं पर महकी हैं खुशियाँ भाई चारे का ये दौर नया हैं ! सत्यम #nojoto #khusiyainlockdown