विज्ञान का ताण्डव - 2 आज विकास के जिस दौर से हम (विश्व) गुजर रहे हैं, वहां किसी युद्ध विराम को सफलता नहीं मिलेगी। न कोई मानवता के इस ह्रास को रोक पाएगा धन भी मिट्टी दिखाई दे जाएगा। विष और संहार के एक ही देव हैं-शिव। आने वाला काल इनके ताण्डव का साक्षी होगा। असाध्य रोगों के दो ही कारण होते हैं। एक विषैला अन्न और विषैले विचार। वैसे तो विचार भी अन्न पर ही निर्भर है। जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। अन्न को ब्रह्म कहा जाता है । विषहीन अन्न लुप्त प्राय: हो चुका है। विकास के दो बड़े यमदूत-रासायनिक खाद और प्रभावी कीटनाशक -हर रोज दरवाजे पर दस्तक देते दिखाई पड़ रहे हैं। यही वह क्षेत्र है जहां से नहरी सिंचाई,बांध परियोजनाएं और विकसित खेती की मशाल आगे बढ़ी थी।