असाध्य रोगों के दो ही कारण होते हैं।
एक विषैला अन्न और विषैले विचार।
वैसे तो विचार भी अन्न पर ही निर्भर है।
जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। अन्न को ब्रह्म कहा जाता है ।
विषहीन अन्न लुप्त प्राय: हो चुका है।
विकास के दो बड़े यमदूत-रासायनिक खाद और प्रभावी कीटनाशक
-हर रोज दरवाजे पर दस्तक देते दिखाई पड़ रहे हैं।
यही वह क्षेत्र है जहां से नहरी सिंचाई,बांध परियोजनाएं और विकसित खेती की मशाल आगे बढ़ी थी। #किसान#पंछी#प्रदूषण#विज्ञान#पाठक#हरे#कृषि