हम सुख ढूंढ रहे हैं.... धीरे ही सही आगे बढ़ रहे हैं खुशियाँ मिलेंगी हमें इक दिन.... इस बात पे यक़ीन हम कर रहे हैं ग़मों की कड़कती धूप को.... अपने हौसलों की शीतलता में, तबदील हम कर रहे हैं 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 160 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।