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मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है ! की दर्द उसे

मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है !
की 
दर्द उसे होता है और चीख मेरी निकल जाती है ।

उसमे मेरी अब जान बसती है , 
 ओर वो पगली मरने की बात करती है !

बेखबर है वो 
की 
उसकी सांसो से ही अब तो मेरी सांसे चलती है ।

मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है ।।

©V Gurjar जिस दिल मे जान बस्ती है !
मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है !
की 
दर्द उसे होता है और चीख मेरी निकल जाती है ।

उसमे मेरी अब जान बसती है , 
 ओर वो पगली मरने की बात करती है !

बेखबर है वो 
की 
उसकी सांसो से ही अब तो मेरी सांसे चलती है ।

मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है ।।

©V Gurjar जिस दिल मे जान बस्ती है !
nojotouser2682198379

V Gurjar

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