मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है ! की दर्द उसे होता है और चीख मेरी निकल जाती है । उसमे मेरी अब जान बसती है , ओर वो पगली मरने की बात करती है ! बेखबर है वो की उसकी सांसो से ही अब तो मेरी सांसे चलती है । मोहब्बत का सफर कुछ इस कदर हो चला है ।। ©V Gurjar जिस दिल मे जान बस्ती है !