पिता कि आँखों मे, मेने प्यार देखा है, माँ की ममता से छल-छल, करता वो अमृत देखा है उँगली पकड़ के, चलना सिखाया, वो समा विलप्त होते देखा है। अनुज केसू सम्मान करते देखा है। घर लेट आने पर, आस लिए, उन वैरागी आँखों मे चिन्ता लिए, मैंने वो समा, सीमेंटा है.. माँ-बाबा पर #रचित