महकती ख़ुश्बू जानम कुछ तुम्हारी कुछ हमारी है तुम्हारे चेहरे की मासूमियत फूलों से प्यारी है सुहानी शाम में जादू तुम्हारा कुछ गुलाबी सा मुझे लगती फ़िज़ा खुशरंग अल्हड़ सी दिवानी है मिलाकर मेरी साँसों में तुम्हें जानम यूँ शब भर हसीं पहलू में खोकर खुशनुमा रातें बितानी है नई ये मंज़िलें तुम संग तय मुझको सनम करनी कि तुमसे मेरी राहें दिल की सारी गुल-फ़िशानी है नफ़स से रूह तक बस नाम इक ही है छपा 'नेहा' सनम के नाम कर दी मैंने अपनी ज़िंदगानी है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1078 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।