तुम समझो तो ये आंसू भी मोती बन जायेंगे । अबकी सावन मे तुम आना बर्ना हम मर जायेंगे ।। यादों के झूले मे झूले अंखिया सूजी हुई हैं लाल । सब दीवाली बीत गयी हैं रंग बिना ही बीते साल। आ जाओ ओ प्राण वायु तुम । साथ साथ घर जायेंगे । तुम समझो तो ये आंसू भी मोती बन जायेंगे । अबकी सावन मे तुम आना बर्ना हम मर जायेंगे सब गलियां हैं सूनी सी सब खिडकी अब जाली हैं सब रातें अब तन्हा हैं , सब बातें अब गाली हैं।। हृदय के कम्पन से सृजित गीत प्रेम के गायेंगे।। आ जाओ ओ प्राण वायु तुम साथ-साथ घर जायेंगे गंगवार अनिल गंगवार अनिल