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हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम; हर दर्द के

हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम;
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम;
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला;
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम.
good night

©ajaykumar nayak
  gdnt

gdnt #Shayari

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