चमकते सितारों से सजे आसमाँ को ओढ़ने दो, लब को ख़ामोश कर इन निगाहों को बोलने दो। ये निगाहें माशाल्लाह क़यामत से कम नहीं , दुनिया की बंदिशें भूल इन निगाहों में खोने दो। मोहब्बत लिख दूँ किताब-ए-इश्क़ के हर वरक़ पर, मसरूफ़ इन साँसों को इश्क़ से भिगोने दो । इन निगाहों के कायल तो होंगे कई ज़माने में, पर हम सा घायल भी कोई होगा तो कह दो। उम्र का ना होश रहे इन बाहों में बस सोने दो, मौसम-ए-बहार में इश्क़ का आगाज़ अब होने दो। ♥️ Challenge-987 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।