26th June, 2020 जब अति आतुर सत्ता के शिरोमणि, सिंहासन पानें को हर हद पार कर गए। तो 25 जून,सन् 1975 की मध्यरात्रि को; अकारण आपातकाल का एलान कर गए। संपूर्ण भारत को बनाया गया कारागार, लाखों विरोधियों को बंदी बनाया गया। खेल खेला गया हमारे संविधान के संग, मौलिक अधिकारों का भी हनन हुआ। अरे! कई राज़ थें नेताओं के जालशाज़ी के, "रायबरेलीकांड" से क़ानून नें नक़ाब हटा दिया। छह वर्ष तक "इलाहाबाद हाईकोर्ट" नें इंदिरा के, चुनाव लड़नें के मार्ग में अवरोध ही लगा दिया। तेजी से सरक रही थी सत्ता की डोर जब उनके हाथों से, तो "कलंकी बिंदियां" माँ भारती के माथे पर लगा दिया। तोड़ दिया गया कई ईमानदार "कलमों" की नोकों को, कई दिग्गजों की शतरंजी चालों को भी पलट दिया गया। हर एक दिशा में स्थापित किया "श्रीमती" जी का आधिपत्य, कई अख़बारों के बुलंद आवाज़ों को भी बंद करा दिया गया। "इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा" के भयावह भाव को, यत्र-तत्र-सर्वत्र ही अनेक घोष वाक्यों द्वारा फैला दिया गया। बस राजनीति के गद्दी पर अधिकार जमाये रखनें के लिए "आपातकाल" के आड़ में भ्रष्टाचारियों के ग़लत मंसूबे पले बढ़े। परिवारवादी ही रहा है सदा से इनका भूत और वर्तमान, अपनें कांग्रेस का इतिहास शायद ही "पप्पू" कभी फ़ुर्सत में पढ़ें! -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" ⬇️ आपातकाल का अर्धसत्य °•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•° जब अति आतुर सत्ता के शिरोमणि, सिंहासन पानें को हर हद पार कर गए। तो 25 जून,सन् 1975 की मध्यरात्रि को;