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रोज़ होती है सुबह तेरे चेहरे की लाली से रोज़ पीते

रोज़ होती है सुबह तेरे चेहरे की लाली से
रोज़ पीते हैं चाय तेरे हाथों से लाई प्याली से
कौन कहता है चाय में चीनी डालनी पड़ती है
मेरी चाय तो तुम्हारी मुस्कान से मीठी बनती है

©Dr  Supreet Singh
  #तुम्हारी_मुस्कान_में_भी_मिठास