"समझदारी की ओर" बचपना छोड़ अब समझदारी की ओर जाने लगे हैं, अपनी ख्वाहिशों को खुद में दफनाने लगे हैं, तकलीफ़ में भी अब मुस्कुराने लगे हैं, हर राज़ अपने दिल में दबाने लगे हैं। अपने-बेगाने में फ़र्क जानने लगे हैं, झूठ-सच सब पहचानने लगे हैं, दुनिया के रंग अब मुझे भी नज़र आने लगे हैं, बचपना छोड़ अब समझदारी की ओर जाने लगे हैं। ज़िंदगी की उलझनों से लड़ने लगे है, मशक्कत की सीढ़ी अब चढ़ने लगे हैं, "ख़ामोशी की किताब" भी अब पढ़ने लगे हैं, बचपना छोड़ अब आगे बढ़ने लगे हैं। रिश्तों का उधेड़-बुन समझने लगे हैं, आसुं छुपाए, दिखावे की हंसी हंसने लगे हैं, इस ज़िन्दगी की हर मोड़ से गुजरने लगे है, बचपना छोड़ अब समझदारी की जाल में फंसने लगे हैं। #bachpana_se_smjhdaari #yqdidi #yqbaba #yqpoem_hindi #samanAsfia_HindiPoems #samjdaariKiOre