समझ बैठे थे हम जिसको इश्क़ अपना, वो तो बस आँखों का एक धोखा निकला। मोहब्बत ने छोड़ा ला कर उस मोड़ पर, जहां अपना हमसफर ही बेवफ़ा निकला। बाजार-ए-इश्क़ में बोली ऊंची लगती भी कैसे? यहाँ अपना सिक्का ही वक़्त पर खोटा निकला। और सुकून मिलता भी तो कैसे इस दिल को!! जब खंजर चलाने वाला ही यहां अपना निकला। ©GLS Guftgoon- 'Lafzon se' #khota_sikka #steps