जख्म खाकर भी मुस्कुरा रहे हैं हम, तेरे दर्द के सजदे में झुके हुए हैं हम, खामोश नज़र ए बयां से अंजान वो, और हर पल यही समझाते रहे हम। #रोज़ी_संबरीया