बड़े बदनाम रहे हैं हम, सोचा बदल के देख लें, इज़्ज़तदारों की नगरी में, थोड़ा हम भी टहल के देख लें। जब आवाजों पर हमारी, कोई गौर करने को राज़ी ना हुआ, चल रही है ऐसी गड़बड़ वहां क्या, सोचा चेहरा बदल कर देख लें।। वहां का मदमस्त समां, हमें भी खूब भा रहा था, बिना सर पैर के इल्ज़ाम लगाने में, मज़ा खूब आ रहा था। ऐसे कर लगते हैं कैसे हम, सोचा आईने की तरफ देख लें, दम घुटने लगा था, लगा क्यूं ना अब वापिस ही मुड़ के देख लें।। बुजुर्गो का फ़लस़फा, ये समझते नहीं हैं या समझना नहीं चाहते, आईना असल चेहरा दिखा देगा, शायद तभी उसके पास नहीं जाते। हां यहां विद्वान बड़े हैं, मतलब ही नहीं कि घुटने टेक लें, ये शरीफ वहां तो नहीं चले आगए, चलो हालात अपनी बदनाम गलियों के देख लें। #shaayavita #badnaam #izzatdaar #nojoto