पुरानी यादों को आज सजा रहा हूँ कुछ बिखरे पत्तें आज पलता रहा हूँ मेरा लक्की नो. 18 है पलटा तो चेहरा तुम्हारा हैं बात सिर्फ तुमपे ख़त्म होगी ऐसा भी नहीं आज तुरप का पत्ता 4 हैं और तस्वीर यार हैं जाने कहा खो गए हम सब चाँद बहुत हैं खो गए तारे चांदनी में सो गए सारे हम तनहा उल्कापिंड से क्या तुझे मुझपे ऐतबार हैं पता हैं मुझे सफर से पहले मंज़िल को तेरा इंतज़ार हैं मैं तो वो मोड़ हूँ जहा रस्ता कटेगा मेरी रूह यहाँ से बटेगी बचा जिस्म जलेगा ©Yash Verma #Divider #safar #lonely #only #alvida #Connection