सुनो माँ, आप उस, पवित्र तुलसी जैसी हो, जो घर के आँगन को, अपनी निश्छल पवित्रता से, पवित्र कर देती हैं, माँ, आपका भोर भये उठकर, उस पावन तुलसी को, अर्घ्य अर्पण करना, आपकी मृदु शालीनता, परिलक्षित करता है, माँ, सुनो माँ, आप उस, पवित्र तुलसी जैसी हो, जो घर के आँगन को, अपनी निश्छल पवित्रता से, पवित्र कर देती हैं, माँ, आपका भोर भये उठकर,