भोर का उजाला उम्मीद की नई किरण लेकर आए जरूरी तो नहीं. फिर भी हम सुबह के लिए प्रतीक्षारत रहते हैं. अगर प्रतीक्षा की कोपल पर पांवों को सहमकर चलना आ गया तो जीवन अपना है. जीवन दोबारा नहीं मिलता और समय लौटकर नहीं आता. निष्क्रिय रात मृतप्राय है. कुछ नहीं करते समय कुछ नहीं करना ही बेहतर है पर सार्थक सोच एक औषधि है. अच्छा सोचने के लिए रात को सहचरी बना लेना उतना ही लाभकारी है जितना मृत्यु को प्राप्त हो रहे मुख में गंगाजल डालना. सार्थक जीवन ही मोक्ष है...मृत्यु के बाद तो बस मृत्यु है #ummid #moksh #yqdidi #bestyqhindiquotes #आजकाहासिल #6/365 #365days365quotes #365r_abhi कृपया इस टैग का प्रयोग न करें.