गजल बन उन वादो के टुकडे, मेरे साथ उन रातो के टुकडे, जो लवो पर आ न पाए, मेरी उन बातो के टुकडे, कॉच से टुटे पडे हैं, मेरे उन जज्बातो के टुकड़े, कहा संभालता में भी उनको दिल भी टुटा पडा हैं आखों से आसूं का समंदर सूखा पडा हैं।