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जिन चरणों की रज माथे पर लेकर सूरज उगता है जिस हृद

जिन चरणों की रज माथे पर लेकर सूरज उगता है
जिस हृद की ममता सींचित अम्बर का मेह विकसता है
वृन्त-वृन्त और पुष्प-पुष्प सौरभ स्नेह में पगता है
नित प्रभात का कलरव मुझको मेरी माँ का स्वर लगता है


 #toyou#iloveyoumummy#yqmissingyou#yqnature#yqlove
जिन चरणों की रज माथे पर लेकर सूरज उगता है
जिस हृद की ममता सींचित अम्बर का मेह विकसता है
वृन्त-वृन्त और पुष्प-पुष्प सौरभ स्नेह में पगता है
नित प्रभात का कलरव मुझको मेरी माँ का स्वर लगता है


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