तू कुछ नहीं है मेरी फिर भी यह तड़प कैसी तुझे देखने को तरसे क्यों मन की हर लहर सी नाजुक सा फूल है तू किसी और के चमन का खुशबू से तेरी महके क्यों बाग मेरे मन का my filing in my life with you