#गुलाबी_यादें
आज किताबों के पन्नों को यूँ पलटा हूँ मै,
जैसे तेरी यादों से यूँ लिपटा हुआ हूँ मै,।
मिला ये आपका दिया गुलाब यूँ पन्नों से,
जैसे आप ही निकले हो दिल के कोने से।
मुद्दतों बाद यूँ आए हो सपनों में,
नही फुरसत है क्या आने को ख्वाबों में।
हवाएं शोर करती हैं यूँ ही आओ न, #reading#कुशवाहाजी