असल थे होश से, रोष में अा गए, आपको बुलाया, लेकिन आप नहीं गए। वादों की गली में फिसल गए। यादों में कली को सजल किए।। अश्क का गजरा सजाया, खुश्क का दामन अपनाया, जाकर दिल आगोश आया, तब चमन का सहरा बताया।। कल ही उन्होंने इश्क सीखा ओर आज ही हमें उसका क़ायदा समझाने लगे, क़ुसूर उनका नहीं ये हमारी खता है दरअसल हमने ही उन्हें इश्क का पूरा मिसरा नहीं पढ़ाया था तभी जोश में आके वो हमें अधूरी