उम्मीदें: हौसलों की कुछ स्वरचित कहानियाँ पढ़ने के बाद कभी कभी हम इतने ज्यादा आशावादी हो जाते हैं कि हमें लगने लगता है कि हम भरी बरसात में उफ़नती नदी के बहाव को मिट्टी डाल कर रोक सकते हैं और हम ऐसा करने भी लगते हैं! मगर बार बार मिट्टी डालने के बाद जब वो हर बार तेज बहाव के दबाव में आकर बह जाती है तब जाकर हमें एहसास होता हैं कि हमनें मिट्टी से उम्मीदें कुछ ज्यादा ही लगा ली थी! प्रेम कथाओं को पढ़कर हम अक़्सर यही गलती दोहराते हैं और फिर उम्मीदों के साथ साथ हम ख़ुद भी टूट जाते हैं! आशावादी बनें मगर अतिविश्वासी नही.... #toomuchexpectation #amit #yqbaba #yqdidi #amitmaun