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" ओ जिज्ञासु " :- मैंने नहीं देखि कहीं जिज्ञासा

 " ओ जिज्ञासु "

:- मैंने नहीं देखि कहीं जिज्ञासा की पराकाष्ठा
   जो देखि मैंने तुम में,!

( अनुशीर्षक )  Avinash Sharma,

   अपने समय से थोड़ा सा कीमती समय निकालना और विचरण करना दुनिया के उस कोने में जहां केवल और केवल सुंदर मन और पवित्र ह्रदय वास करते हैं, किसी आम इंसान की यह खासियत तो नहीं,!

  जीवित रखना सदैव ही मन में एक  ' जिज्ञासा ' लिखे को महज़ मात्र पढ़ना भर ही नहीं बल्कि शब्दों -शब्दों के पीछे छिपे मर्म को ज्ञात करना , कुछ ऐसा लिख जाना जो मन की किसी भी स्थिति को नम कर दे और किसी बच्चे की ही भांति हमेशा प्रयासरत रहना नया सीखने हेतु व जानने हेतु,  फिर सराहना और प्रोत्साहित करना किसी परिपकव अव्यस्क की भांति, साथ ही छोड़ जाना प्रश्न चिन्ह मन में वाकई जो लिखा वह है सार्थक कहीं न कहीं,!

  भीड़ से अलग बनाती आपको यह आपकी, 'जिज्ञासा ', एक ऐसे ही जिज्ञासु को उनके अवतरण दिवस की ढेरों शुभकामनायें, और शुभ कामनायें करती हूँ उनके मंगल भविष्य हेतु,!
 " ओ जिज्ञासु "

:- मैंने नहीं देखि कहीं जिज्ञासा की पराकाष्ठा
   जो देखि मैंने तुम में,!

( अनुशीर्षक )  Avinash Sharma,

   अपने समय से थोड़ा सा कीमती समय निकालना और विचरण करना दुनिया के उस कोने में जहां केवल और केवल सुंदर मन और पवित्र ह्रदय वास करते हैं, किसी आम इंसान की यह खासियत तो नहीं,!

  जीवित रखना सदैव ही मन में एक  ' जिज्ञासा ' लिखे को महज़ मात्र पढ़ना भर ही नहीं बल्कि शब्दों -शब्दों के पीछे छिपे मर्म को ज्ञात करना , कुछ ऐसा लिख जाना जो मन की किसी भी स्थिति को नम कर दे और किसी बच्चे की ही भांति हमेशा प्रयासरत रहना नया सीखने हेतु व जानने हेतु,  फिर सराहना और प्रोत्साहित करना किसी परिपकव अव्यस्क की भांति, साथ ही छोड़ जाना प्रश्न चिन्ह मन में वाकई जो लिखा वह है सार्थक कहीं न कहीं,!

  भीड़ से अलग बनाती आपको यह आपकी, 'जिज्ञासा ', एक ऐसे ही जिज्ञासु को उनके अवतरण दिवस की ढेरों शुभकामनायें, और शुभ कामनायें करती हूँ उनके मंगल भविष्य हेतु,!
alpanabhardwaj6740

AB

New Creator

Avinash Sharma, अपने समय से थोड़ा सा कीमती समय निकालना और विचरण करना दुनिया के उस कोने में जहां केवल और केवल सुंदर मन और पवित्र ह्रदय वास करते हैं, किसी आम इंसान की यह खासियत तो नहीं,! जीवित रखना सदैव ही मन में एक ' जिज्ञासा ' लिखे को महज़ मात्र पढ़ना भर ही नहीं बल्कि शब्दों -शब्दों के पीछे छिपे मर्म को ज्ञात करना , कुछ ऐसा लिख जाना जो मन की किसी भी स्थिति को नम कर दे और किसी बच्चे की ही भांति हमेशा प्रयासरत रहना नया सीखने हेतु व जानने हेतु, फिर सराहना और प्रोत्साहित करना किसी परिपकव अव्यस्क की भांति, साथ ही छोड़ जाना प्रश्न चिन्ह मन में वाकई जो लिखा वह है सार्थक कहीं न कहीं,! भीड़ से अलग बनाती आपको यह आपकी, 'जिज्ञासा ', एक ऐसे ही जिज्ञासु को उनके अवतरण दिवस की ढेरों शुभकामनायें, और शुभ कामनायें करती हूँ उनके मंगल भविष्य हेतु,!