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एक अजनबी हसीना से जनाब गुरुर मत कर खूबसूरती का, ये

एक अजनबी हसीना से जनाब गुरुर मत कर खूबसूरती का, ये दौलते हुस्न केआगे फीकी पड़ी है।
जहां फैसले होते हैं इंसानी चाहतों के, वो भी इसके पैरों पर झुकी पड़ी है।
एक अजनबी हसीना से जनाब गुरुर मत कर खूबसूरती का, ये दौलते हुस्न केआगे फीकी पड़ी है।
जहां फैसले होते हैं इंसानी चाहतों के, वो भी इसके पैरों पर झुकी पड़ी है।