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शीर्षक:- "पापा की लाड़ली बेटी"। लेखक "शायद" पापा क

शीर्षक:- "पापा की लाड़ली बेटी"।
लेखक "शायद"
पापा की लाड़ली बेटी एक थी राज दुलारी।
सुंदर चंचल भोली सी पापा की राज दुलारी।।
एक दिन ऐसा आया जब बेटी हुई पराई।
यादे उसकी लेकर बेठे पापा की आँख भर आई।।
फिर बुरा वक्त कुछ ऐसा आया एक दिन मनहूस खबर ये आई।
लोभी लालची कुछ लोगो ने पापा की प्यारी बेटी जलाई।।
पापा ये सोचते रह गये बेटी में क्या थी मेरी बुराई।
मेरी फूल सी प्यारी बेटी को दहेज की आग क्यूँ लगाई।।
उस दिन वहां तीन लाशें गिरी बेटी बाप और इंसानियत की।
सभी ने मिलकर इन तीनो कोअग्नि अग्नि अग्नि लगाई।।
सभी ने मिलकर इन तीनो कोअग्नि अग्नि अग्नि लगाई।।
शीर्षक:- "पापा की लाड़ली बेटी"।
लेखक "शायद"
पापा की लाड़ली बेटी एक थी राज दुलारी।
सुंदर चंचल भोली सी पापा की राज दुलारी।।
एक दिन ऐसा आया जब बेटी हुई पराई।
यादे उसकी लेकर बेठे पापा की आँख भर आई।।
फिर बुरा वक्त कुछ ऐसा आया एक दिन मनहूस खबर ये आई।
लोभी लालची कुछ लोगो ने पापा की प्यारी बेटी जलाई।।
पापा ये सोचते रह गये बेटी में क्या थी मेरी बुराई।
मेरी फूल सी प्यारी बेटी को दहेज की आग क्यूँ लगाई।।
उस दिन वहां तीन लाशें गिरी बेटी बाप और इंसानियत की।
सभी ने मिलकर इन तीनो कोअग्नि अग्नि अग्नि लगाई।।
सभी ने मिलकर इन तीनो कोअग्नि अग्नि अग्नि लगाई।।