आँखों ही आँखो में प्यार का इजहार हुआ तुम थे दुर फिर भी इन आँखो से तुम्हारा दिदार हुआ न जाने कैसे धोखे की धुँल पड. गयी इन आँखों में फिर कभी न दिखा प्यार इन आँखों में मैं अश्को से साफ करती रह गयी धुँल को तुम्हारा प्यार कब गायब हो गया न पता चला इन आँखों को. #december#07