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रीति-रिवाजों की बेड़ियों में मचल रहा हर कोई, मंज़ि

रीति-रिवाजों  की बेड़ियों में  मचल रहा हर कोई,
मंज़िल पता नही मग़र सफ़र में चल रहा हर कोई।

ज़िंदा रहने की ख़ातिर इंसानियत खोते जा रहे हम,
हर धड़ गिरेगा लेकिन वहम है संभल रहा हर कोई।

हर इंसान  ख़्वाहिशों का  व्यापार करता जा रहा है, 
ख़ामोशी की तलब में साँसों का खलल रहा कोई।

हर  पल ये 'दुनिया'  मेरे  सब्र  को  परखती  रही है,
इम्तिहान में मुझें  छोड़कर सफ़ल रहा है हर कोई।

ये मौसम ये सुबह ये हवा बातें करने लगें है 'अंजान',
मेरी ज़िंदगी जीने के मायनों को बदल रहा हर कोई। दुनिया (ग़ज़ल) 
#कोराकाग़ज़
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkदुनिया 
#yqbaba 
#yqdidi
रीति-रिवाजों  की बेड़ियों में  मचल रहा हर कोई,
मंज़िल पता नही मग़र सफ़र में चल रहा हर कोई।

ज़िंदा रहने की ख़ातिर इंसानियत खोते जा रहे हम,
हर धड़ गिरेगा लेकिन वहम है संभल रहा हर कोई।

हर इंसान  ख़्वाहिशों का  व्यापार करता जा रहा है, 
ख़ामोशी की तलब में साँसों का खलल रहा कोई।

हर  पल ये 'दुनिया'  मेरे  सब्र  को  परखती  रही है,
इम्तिहान में मुझें  छोड़कर सफ़ल रहा है हर कोई।

ये मौसम ये सुबह ये हवा बातें करने लगें है 'अंजान',
मेरी ज़िंदगी जीने के मायनों को बदल रहा हर कोई। दुनिया (ग़ज़ल) 
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