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फूल मोहब्बत के खिलने दो जरा, लबों को लबों से मिल

फूल मोहब्बत के खिलने दो जरा,  
लबों को लबों से मिलने दो जरा,  

मिटाकर दूरी थोड़ा करीब आकर.. 
साँसो को साँसो में घुलने दो जरा। 

कब तलक चलूँगा यूँ तन्हा-तन्हा,  
तेरे संग- संग मुझे चलने दो जरा,  

देखकर लोग जलेंगे बहुत मगर...
जो जलते है उन्हें, जलने दो जरा।

गोविन्द पन्द्राम #तन्हा-तन्हा_#संग-संग_
फूल मोहब्बत के खिलने दो जरा,  
लबों को लबों से मिलने दो जरा,  

मिटाकर दूरी थोड़ा करीब आकर.. 
साँसो को साँसो में घुलने दो जरा। 

कब तलक चलूँगा यूँ तन्हा-तन्हा,  
तेरे संग- संग मुझे चलने दो जरा,  

देखकर लोग जलेंगे बहुत मगर...
जो जलते है उन्हें, जलने दो जरा।

गोविन्द पन्द्राम #तन्हा-तन्हा_#संग-संग_

#तन्हा-तन्हा_संग-संग_