फूल मोहब्बत के खिलने दो जरा, लबों को लबों से मिलने दो जरा, मिटाकर दूरी थोड़ा करीब आकर.. साँसो को साँसो में घुलने दो जरा। कब तलक चलूँगा यूँ तन्हा-तन्हा, तेरे संग- संग मुझे चलने दो जरा, देखकर लोग जलेंगे बहुत मगर... जो जलते है उन्हें, जलने दो जरा। गोविन्द पन्द्राम #तन्हा-तन्हा_#संग-संग_