नित नेह नमन से निहारे नैनो का जीवन सँवारे..! दे कर मन को सुमन स्वंय के भीतर पधारे...!! बहती गंगाजल के धारे द्वीप जला दृष्टि के द्वारे..! ध्यान में अनुभूति पावन होते हैं स्नेह के स्पर्श सारे...!!