राज़ दफ्न है जाने कितने इस अंधेरी रात में, पाप दफ्न हैं जाने कितने इस अंधेरी रात में, मैं चुप हूँ क्यूँकि मैं वक्त हूँ मुझे पता है हर बात, मेरा इंसाफ बन्द है इस अंधेरी रात में।। #अंकित सारस्वत # #अंधेरी रात में