अरसे बीत गए उन रास्तों पर खड़े हुए जहां नजरें तक नहीं ठहरती थी । सोचते थे न जाने किसकी भीड़ रहती है। अब समझ आया हम और हमारे ही सब रहते हैं जो जाने-अनजाने उन रास्तों पर आ जाते हैं और हम ही उन्हें भीड़, अनजानी भीड़ का नाम दे देते हैं । अरसे बीत गए उन रास्तों पर खड़े हुए जहां नजरें तक नहीं ठहरती थी । सोचते थे न जाने किसकी भीड़ रहती है। अब समझ आया हम और हमारे ही सब रहते हैं जो जाने-अनजाने उन रास्तों पर आ जाते हैं और हम ही उन्हें भीड़, अनजानी भीड़ का नाम दे देते हैं । - ©Shubham Singh For more my posts, information and update follow me on Instagram - @skysensor_