शेष हैं कविताएँ क्योंकि संवेदनाएँ अभी अशेष हैं। रूप बदलेगा.. शब्दों पर भावों का भार लटकेगा..। बहेंगे..रक्त से जब कवि के अश्रु तब कहीं जाकर.. समुद्र का क्षार कुछ घटेगा..।। शेष है कविताएँ क्योंकि अभिव्यक्तियाँ अभी अशेष हैं..। स्वप्न टूटेंगे.. पलकों पर अनिद्रा का भार बढ़ेगा..। खंडित सपनों के बोझ से जब कवि थकेगा.. तब कहीं जाकर भू-घरों का गुरुत्व धरा पर कुछ घटेगा..।। शेष है कविताएँ क्योंकि अव्यक्त #अभी #भी अशेष है। अनुपात बदलेंगे.. अनुभूतियों पर व्यक्तता नपेगी..। स्पंदित हो जब कवि का कवित्व स्वयं बहेगा.. तब कहीं जाकर नदी का वेग कुछ थमेगा..।। शेष हैं कविताएँ, क्योंकि.. आस अभी अशेष है। शेष हैं कविताएँ, क्योंकि.. संभावनाएँ अभी अशेष हैं। शेष हैं कविताएँ, क्योंकि.. कवि अभी अशेष है.. क्योंकि..कवि अभी अशेष है..।। #शेष हैं कविताएँ .... शेष हैं कविताएँ क्योंकि संवेदनाएँ अभी अशेष हैं। रूप बदलेगा.. शब्दों पर भावों का भार लटकेगा..। बहेंगे..रक्त से जब कवि के अश्रु तब कहीं जाकर..