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#ग़ज़ल 2122 1122 1122 22 🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷

#ग़ज़ल  2122  1122  1122  22
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जो निगाहों से गिरी हो वो मुहब्बत हूँ मैं। 
कैसे कह दूं तेरे अभिमान की दौलत हूँ मैं। 

आइना देख न पाया जिसे मेरे दिल में
आज कहती हूंँ उसी प्यार की सूरत हूँ मैं।

#ग़ज़ल 2122 1122 1122 22 🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷 जो निगाहों से गिरी हो वो मुहब्बत हूँ मैं। कैसे कह दूं तेरे अभिमान की दौलत हूँ मैं। आइना देख न पाया जिसे मेरे दिल में आज कहती हूंँ उसी प्यार की सूरत हूँ मैं।

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