इत्तेफाकन हर शाम मेरे ख्वाबों में एक इत्तेफाक होता है यदा कदा मिले कभी जो चलते फिरते राहों में ,हर बार वो अजनबी ख्वाबों में मेरे साथ होता है । गुलाबी शाम खुद ढल के रातों को सितारों से सजाती है। वो समझती है दिलों के कशमकश हमें मिलाने को खुद रातों से बिछड़ जाती है धड़कनो के शोर से जब आँखे जो खुला करती है, मैं फिर से अकेली और सामने सवेरा होता है हर बार इत्तेफाकन ये इत्तेफाक मेरे साथ होता है ।................ #poem#poetries #sadshayries #stories #nojoto 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Neeraj Bakle (neer✍🏻)