कुछ कुछ दिल में है, बोलना गंवारा भी नहीं, इन्कार नहीं होती, दिखाना नकारा भी नहीं, दो प्रेमियों की भाषा ही ऐसी है, किसी और को समझाना ज़रूरी भी नहीं ।।— % & 🌻लेखन संगी।🌻 ।।इशारा।। "हल्की हल्की सी हँसी, साफ कोई इशारा भी नहीं, आँखो से नींद उड़ाकर ,ख़ुद चोरी सकारा भी नहीं। बैरी पिया से आँखमिचौली का सिलसिला है जारी, जान भी ले गए, ज़ालिम ने जान से मारा भी नहीं।।" ✒Saiyahi@Rashmi