मेरा दोस्त भी है,मेरा हमनवा भी है वो मीठा भी है और कड़वा भी है वो गाँव में भी है,वो शहर में भी है वो गोरखपुर में भी है और नौतनवा में भी है वो सीधा भी है,वो बदमाश भी है ये हुनर बूढों में भी है और युवा में भी है वो थकता भी है,वो कमाता भी है वो आराम के समय मे भी है और सेवा में भी है वो मीठा भी है,वो मिठाई भी है वो खूबी भेली में भी है और मेवा में भी है वो ठीक भी है,वो बीमार भी है वो अस्पताल में भी है और दवा में भी है वो मेरा दोस्त भी है,मेरा हमनवा भी है -राहत इंदौरी।। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के आखिरी पड़ाव के लिए?!