जिस दिन माटी का ये तन छूटेगा, लोभ मोह माया सब छूटेगा.. छूटेगी बरसो कमाई धन की गठरी, छूटेगी सजनी की चुनरी.. हँसता बचपन,संघर्ष जवाँ छूटेगा, कराहता अप्रिय बुढ़ापा छूटेगा.. छूटेंगे सब रिश्ते नाते बाकी, कर्मों का संचय केवल रहेगा साथी.. जिस दिन माटी का ये तन छूटेगा, जन्म मरण का भव बंधन छूटेगा.. सद्कर्मो का संचय करते रहिये, सानिध्य प्रभू का सदा रहेगा.. ©Chanchal's poetry #trustingod #Karma #believeinkarma #god #nojotowriters